Deputy cm of Rajasthan Diya Kumari
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Jai Shree RAM

Bal Krishna Purohit

Sree Manav Mangal Sewa Nays

श्री मानव मंगल सेवा न्यास की स्थापना 1940 में पंचपीपलिया, राजस्थान में की गई थी। यह संस्था भारतीय संस्कृति के उत्थान और प्राचीन भारतीय नाड़ी विज्ञान की खोज में समर्पित है। संस्था का वर्तमान कार्यालय “रामनामालय भवन” है, जो पंचपीपलिया, सधुबाय रोड, पुष्कर से संचालित होता है। न्यास का उद्देश्य मानवता में आध्यात्मिक जागरूकता और मानसिक शांति को बढ़ावा देना है। संस्था कई गतिविधियों के माध्यम से लोगों को ‘राम नाम’ के जाप से लाभान्वित करती है।

Ram Naam Dhan Sangrah (Bank)

श्री मानव मंगल सेवा न्यास का एक महत्वपूर्ण प्रकल्प है राम नाम धन संग्रह (बैंक)। इस पहल के तहत, मानवता को ‘राम नाम’ लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इच्छुक लोगों को मुफ्त कॉपी उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे राम नाम का लेखन कर सकें। बाद में, लिखी हुई कॉपियों को राम नाम बैंक में संग्रहित किया जाता है। यह प्रकल्प मानसिक शांति, मनोवैज्ञानिक लाभ, और संतुष्टि के माध्यम से मानवता की सेवा करता है।

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राम नाम लिखने के लाभ

राम नाम लेखन से व्यक्ति को मानसिक शांति, तनाव मुक्ति, और आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है। अध्ययन बताते हैं कि इस प्रकार का लेखन मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्यक्ति की सोच में सुधार लाता है और उसका आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह आध्यात्मिक प्रथा लोगों को अपनी मनःस्थिति को स्थिर करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में मदद करती है।

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राम नाम क्यों लिखना चाहिए?

आज के युग में मानसिक शांति दुर्लभ होती जा रही है। विज्ञान और तकनीकी उन्नति के बावजूद, शारीरिक सुखों में वृद्धि के साथ-साथ मानसिक अस्थिरता भी बढ़ी है। राम नाम लेखन एक सशक्त साधन है जो आंतरिक शांति प्रदान करता है और हमारे मन में सकारात्मकता का संचार करता है। यह लेखन मन में स्थिरता, सकारात्मकता और आध्यात्मिक विकास का माध्यम बन सकता है।

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