रामनामाकंन साधना ३०

150 150 rohit

*रामनामाकंन साधना ३०

राम यह नाम हैं,परमात्मा का,परमतत्त्व का,
यह वह तत्त्व हैं, इस महानाम में अग्नि,सुर्य,चन्द्रमा सब का समाहन है,अथवा इनकी उत्पति इसी नाम से हैं।

यह नाम पदार्थों का सत्यतत्त्व’ ः जिस प्रकार सुदीप्त अग्नि सेवसहस्त्रों स्फुलिंग उत्पन्न होए है तथा वे सब के सब अग्नि के समान रूप वालें होते हैं।
जैसे अक्षर-तत्व से अनेकानेक भावों अर्थात समभुतियों का उद्भव होता है, और पुनः सब के सब उसी में चले जाते हैं।
इस रामनाम को वेद सोम्य कहता हैं।
मात्र सोम्य ही नहीं दिव्य,अमूर्त भी बताया गया हैं।
इस रामनाम को ही वेद ने पुरुष भी कहा हैं।
जिस पुरूष को बाह्य और आन्तर (सत्य) कहा है तो ” अज” भी कहा हैं।
रामनामको वेद प्राणों से परे अर्थात अप्राण कहा हैं, तो मन से परे अमन भी कहा हैं।
और तो और शुभ्र ज्योतिर्मय एवमन अक्षर से भी परे परमात्म-तत्व कहा हैं, या यों कहें कि, जिसको परमात्म-तत्त्व बताया गया वही तो रामनाम हैं।

राम” इस नाम को मात्र जो लोग नाम ही मानते हों ? उनको यह अच्छे से जान लेना चाहिये की वेद कह क्या रहे हैं, राम नाम के सन्दर्भ में।

वेद ने स्पष्ट किया हैं कि,
एतस्माज्जायते प्राणो मनः सेर्वेन्द्रियाणि च।
खं वायुर्ज्योतिरापः पृथवी विश्वस्य धारिणि।।

वेद ने बताया वही जो मानस में गोस्वामीजी ने बताया कि,
बंद ऊं नाम राम रघुबर को
हेतु कृसानु भानू हिमकर को

यही सब का हेतु है ,यही रामनाम सबजा जनक हैं।
इसी परमात्म-तत्त्व से प्राण ,मन, तथा समस्त इन्द्रियों का जन्म होता हैं।
तथा आकाश,वायु,अग्नि,जल,तथा सभी को धारण करने वाली धरा अर्थात पृथ्वी का भी जन्म होता हैं।

रामनानाकंन कर्ता साधको जरा सोचो कि, आप लोग जिसको अंकित कर कर के जप कर रहे हो? क्या वह उतनासा नाम मात्र हैं क्या ?
जो आप जानते मानते आरहे हो?

अरे नही भाइयों!
आप जिस रामनाम का अंकन कर रहे हो,उस परमसत्तात्मक तत्त्व को जो अनंत अनंत हैं, उसको सिमित करके अपने चक्षु के दायरे में लेकर अपनी पुस्तिका में उसकी सारी सत्ता को एक चौखाने नें समाहित कर रहे हो।
यह कोई बहुत छोटी मोटी घटना नही घट रही हैं, बल्कि जब आपको अनुभव होगा तो आप यह जान जायेगें कि, आपने राम लिख कर उस परम सत्ता को अपनी पुस्तिका पर उसका अवतरण कर दिया हैं।
यह हैं आपके द्वारा किये गये रामनामाकंन का अर्थ,तात्पर्य,आशय , परम आशय।
बिना किसी बहकावे के रामनामाकंन करते रहें,आप की बुद्धि लोकिकता से उपर उठ कर परमतत्त्व को स्वानुभव बनायेगी।
रामनामानुराग आपकी समस्त लोक परलोक इहलोक सबसे परे परानुभूति को उपलब्ध होगी।
जयति जय रामनामाकंनम्
श्रीरामनामालयम्
श्री राम नाम धन संग्रह बैंक पुष्कर राज अजमेर के निमित्त।

Leave a Reply

Your email address will not be published.